बीजेपी जिस
राम-राज्य की बात करती रही है... वस्तुतः हम भाजपा के उसी राम-राज्य में जी रहे
हैं... हम यानी भारत वर्ष में रहने वाला हर नागरिक... फिर चाहे वो हिन्दू हो या
मुसलमान या किसी और मजहब का... हर कोई राम-राज्य में जी रहा है.... और राम-मय
है... इन पंक्तियों को पढ़ते वक़्त यक़ीनन आप ज़ेहन आपसे सवाल कर रहा होगा.. कि
भला हर कोई कैसे राम-राज्य में जी रहा है वो भी इस दौर में.. तो जनाब जवाब हाज़िर
है... ज़रा ग़ौर से पढ़िए और समझने की कोशिश कीजिएगा....ऐतिहासिक तौर पर तो ये अब
तक प्रमाणित नहीं हो पाया है कि राम कभी हुए भी थे, या नहीं, लेकिन, पुराण के इस
पात्र के प्रति हमारी आस्तिकता... हमें भक्त और अनुयायी बनाती है... रोम रोम में
बसनेवाले राम... एक रूपक हैं... भारतीय समाज की आस्था के.... हम भारतीयों के
श्रद्धा और भक्ति के... बदलते वक्त के साथ-साथ... राम नाम के इस रूपक के मायने
बदलते गए हैं... आगे की पंक्तियों को और गहराई से समझने की ज़रूरत है.... इसलिए
तनिक और ध्यान से पढ़िए... हमारी आस्था हमें बताती है कि रोम-रोम में बसने वाले
राम ही कहलाते हैं... और आज के हालात में करप्शन हमारे रोम-रोम में व्याप्त है...
इसलिए भी करप्शन को मौजूदा दौर का राम कहना सर्वथा उचित है... अब ज़रा सोचिए हम
राम-राज्य में जी रहे हैं कि नहीं... अब ये राम-राज्य भाजपा की देन है या कांग्रेस
की कहना मुश्किल ही नहीं नामुमक़िन
है..... बस राम-राम भजिए... जय श्रीराम कहिए... क्योंकि राम रूपक हैं... एक ऐसा
रूपक जो समय और हालात के मुताबिक़ बदल लेते हैं अपने मायने... और अपनी आस्था में यक़ीन
कीजिए... अपने भरोसे का भरोसा बनाए रखिए... क्योंकि आज रोम-रोम में बसते हैं राम !!!!