Saturday, April 28, 2012
घिर गई है भारत माता-ये भी तो मादरे हिंद की बेटी है!
Tuesday, March 6, 2012
दिल्ली प्रदेश सोशलिस्ट पार्टी का नगर निगम चुनाव लड़ने का फैसला
Socialist Party (India)
Delhi Pradesh
Delhi Office : 11- Rajpur Road, Delhi - 110054
Camp Office : 270-A, Patpar Ganj, Opposite Anand Lok Apartments(Gate No.2)Mayur Vihar-1,
Phone: 011-22756203 Email: socialistpartyindia@gmail.com
Blog: socialistpartyindia.blogspot.com
Friday, March 2, 2012
लोक स्वराजः टीम अन्ना का नया आंदोलन

समय सीमा 2014. इससे पहले टीम अन्ना एक नया आंदोलन शुरू करेगी, नाम होगा लोक स्वराज. काग़ज़ी तैयारी हो चुकी है, ज़मीनी तैयारी भी लगभग शुरू हो गई है. दरअसल, लोक स्वराज आंदोलन की तैयारी दरअसल लोकपाल आंदोलन से काफी पहले हो चुकी थी. यह पूरी कहानी 2009 से ही शुरू होती है, जब क़रीब-क़रीब लोक स्वराज आंदोलन की शुरुआत हो चुकी थी. दिल्ली के कुछ इलाक़ों में पीसीआरएफ और परिवर्तन जैसी संस्थाओं ने लोक स्वराज के प्रयोग भी शुरू किए थे, लेकिन सरकारी लोकपाल बिल बनने की ख़बर जैसे ही आई, वैसे ही लोक स्वराज के मुद्दे को स्थगित कर दिया गया. टीम अन्ना लोक स्वराज आंदोलन की ज़मीन तैयार करने के लिए सबसे पहले देश में वैचारिक मंथन के ज़रिए वैचारिक क्रांति पर जोर दे रही है. इसके लिए देश भर में चर्चा समूहों का गठन किया जा रहा है.. जिन्हें स्वराज चर्चा समूह या अन्ना चर्चा समूह का नाम दिया गया है...इन समूहों के ज़रिए जनता अपने सवालों को उठाएगी और ख़ुद ही उनका समाधान भी ढूंढेगी....
पूरी खबर के लिए इस लिँक पर क्लिक करेँ.
http://www.chauthiduniya.com/2012/02/lok-swaraj-team-annas-new-movement.html.
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Monday, February 6, 2012
टाटा स्टील और झारखंड सरकार की लूट

झारखंड खनिज संपदा से भरा पड़ा है. फिर भी वहां ग़रीबी है, नक्सलवाद है, बेरोज़गारी है और भुखमरी भी. बावजूद इसके कि इस राज्य में टाटा से लेकर मित्तल ग्रुप तक का अरबों का व्यापारिक साम्राज्य कायम है. नियमों की अनदेखी करते हुए बड़े-बड़े औद्योगिक समूह यहां की खनिज संपदाओं का दोहन कर रहे हैं. मामला झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम ज़िले के अंतर्गत आने वाले नोवामुंडी में लौह अयस्क खनन पट्टा से जुड़ा है, जहां टाटा को खनन पट्टा मिला हुआ है. 1980 में, जब एकीकृत बिहार हुआ करता था, टाटा (टिस्को) ने नोवामुंडी स्थित लौह अयस्क खान के नवीकरण के लिए फॉर्म जे के तहत बिहार सरकार के साथ क़रार किया. यह पट्टा अगले 32 साल के लिए टाटा को मिल गया. इस क़रार में स्पष्ट लिखा था कि इस खान का इस्तेमाल कैप्टिव माइनिंग के लिए होगा... |
क्या है पूरा मामला.. यहाँ क्लिक करेँ..
http://www.chauthiduniya.com/2011/10/tata-steel-and-the-spoils-of-jharkhand-government.html
Saturday, February 4, 2012
सुशासन मेँ बनता है फर्जी लिस्ट

बिहार में प्रशिक्षित शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया में सालों का समय लगा. हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में मामला सालों तक चला. कई-कई बार सूची तैयार की गई. कहा गया कि अब जो सूची बनी है, वो फाइनल है. चौथी दुनिया की पड़ताल बताती है कि इस सूची में, जिसमें 34540 शिक्षकों को ज़िला आवंटित किया गया है, भारी गड़ब़डी है. फर्ज़ीवाड़ा है. हो सकता है कि सरकार ये दलील दे कि हम जिन शिक्षकों को नियुक्त कर रहे हैं, उन्हें एक साल के भीतर नियमित किया जाएगा. लेकिन सवाल है कि सालों की मेहनत के बाद भी आ़खिर इस दोषपूर्ण सूची को बनाने के लिए ज़िम्मेदार कौन लोग हैं?
पूरी खबर के लिए यहाँ क्लिक करेँ
http://bihar.chauthiduniya.com/2012/01/nitish-ji-list-of-34540-teachers-is-fake.html
Tuesday, January 24, 2012
सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) की तीन राज्यों में चुनाव लड़ने की तैयारी
सोशलिस्ट पार्टी ने विधानसभा चुनाव के लिए उत्तर प्रदेश में 45 पंजाब में एक और गोवा में 5 उम्मीदवार चुनाव मैदान में खड़े किए हैं। उत्तराखंड में पार्टी का कोई उम्मीदवार चुनाव नहीं लड़ रहा है। वहां पार्टी सहमना संगठनों के उम्मीदवारों का समर्थन कर रही है। उत्तर प्रदेश में पार्टी लोक राजनीति मंच समर्थित उम्मीदवारों के साथ नवउदारवादी नीतियों, सांप्रदायिकता, जातिवाद, वंशवाद विरोधी साफ-सुथरी छवि वाले उम्मीदवारों का समर्थन कर रही है। पार्टी का फैसला है कि इन चुनावों में उसका यूपीए और राजग (भाजपा-कांग्रेस और उनके सहयोगी दलों) से पहले नंबर पर विरोध है। सोशलिस्ट पार्टी का मानना है कि ये दोनों पार्टियां और उनके नेतृत्व में चलने वाले गठबंधन देश में जन-विरोधी नवउदारवादी नीतियों के लिए पहले नंबर पर जिम्मेदार हैं। सोशलिस्ट पार्टी नवउदारवादी नीतियों का संपूर्णता में विरोध करती है। पार्टी का लक्ष्य देश में लोकतांत्रिक समाजवादी व्यवस्था कायम करना है।
चुनाव प्रचार के लिए केंद्रीय नेतृत्व से पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष भाई वैद्य, केंद्रीय पार्लियामेंटरी बोर्ड के अध्यक्ष पन्नालाल सुराणा, पार्टी के उपाध्यक्ष संदीप पांडे, महासचिव डॉ. प्रेम सिंह, नुरुल अमीन और ओंकार सिंह, जस्टिस राजेंद्र सच्चर, पूर्व सांसद एवं वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैयर पार्टी उम्मीदवारों के पक्ष में चुनाव प्रचार करेंगे। उत्तर प्रदेश में पार्टी का चुनाव घोषणापत्र पार्टी उपाध्यक्ष संदीप पांडे, महासचिव ओंकार सिंह और उत्तर प्रदेश सोशलिस्ट पार्टी के अध्यक्ष गिरीश पांडे 27 जनवरी को जारी करेंगे।
डॉ. प्रेम सिंह
महासचिव व प्रवक्ता
मोबाइल : 9873276726
Friday, September 30, 2011
सजप का सैद्धांतिक दिवालियापन

(यह टिप्पणी जनसत्ता में छपे एक लेख पर डॉ. अश्वनी कुमार, हिंदी विभाग, मोतीलाल नेहरू कॉलेज (सांध्य), दिल्ली यूनिवर्सिटी ने की है.)
जनसत्ता, 27 सितंबर 2011 में छपी न्यूज स्टोरी समाजवादी जन परिषद करेगी सिद्धांत आधारित राजनीति का शीर्षक पढ़ कर जहां खुशी हुई वहीं पूरा समाचार पढ़ कर भारी धक्का लगा। अगले महीने बिहार के सासाराम में होने जा रहे समाजवादी जन परिषद(सजप) के राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन अन्ना हजारे करेंगे, यह समाचार किसी भी तरह नहीं पच पा रहा है। इसीलिए यह टिप्पणी लिख रहा हूं। सजप का गठन नवउदारवादी व्यवस्था की जगह समाजवादी व्यवस्था कायम करने के लिए हुआ था। उसने एक नई राजनीतिक संस्कृति के निर्माण की बात की थी। लेकिन किशन जी की मृत्यु के कुछ समय पहले से ही सजप में अजीब तरह की स्थिति बनने लगी थी। कुछ लोग विदेशी धन लेने एनजीओ के साथ काम करने, कांग्रेस का साथ देने आदि की वकालत पार्टी मंच से करने लगे थे। जनसत्ता का समाचार पढ़ कर लगता है वे लोग कामयाब हो गए हैं। मेरे जैसे साधारण कार्यकर्ता की समझ से यह बाहर है कि जिन अन्ना हजारे का बड़े उद्योगपतियों के सभी संगठन, कारपोरेट लॉबी, अमरीकी सरकार, आरएसएस और एनजीओ समर्थन कर रहे हैं, उन्हें सजप के राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करने के लिए किस समाजवादी सिद्धांत के तहत बुलाया जा रहा है. इंडिया अगेंस्ट करप्शन के निर्माताओं और सदस्यों में तरह-तरह के सांप्रदायिक, जातिवादी आरक्षण विरोधी और धर्म का व्यापार करने वाले लोग शामिल हैं। गांधीवादी अन्ना हजारे भ्रष्टाचारियों को बात-बात पर फांसी पर लटकाने और उनका मांस गिद्धों और कुत्तों को खिलाने का आह्नान करते रहते हैं। अप्रैल में जंतर-मंतर पर मिली कामयाबी के बाद उन्होंने सबसे पहले गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार की प्रशंसा की थी। वे महाराष्ट्र में उत्तर भारतीयों को पीटने वाले ठाकरे बंधुओं और बाबरी मस्जिद ढहाने वाले कारसेवकों के भी प्रशंसक हैं। उनकी टीम में सबसे प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने खुलेआम आरक्षण के विरुद्ध यूथ फॉर इक्वेलिटी संस्था, जो रातों-रात बन गई थी, को धन सहित सभी तरह की मदद की थी। समाचार में बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार की कड़ी आलोचना की गई है। लेकिन नितीश अन्ना हजारे के प्रिय मुख्यमंत्री हैं। अगर सजप के मंच से वे नितीश कुमार की प्रशंसा करेंगे तो सजप की आलोचना का क्या होगा. समाचार में सम्मेलन में योगेंद्र यादव के शामिल होने की सूचना खास तौर पर दी गई है। योगेंद्र यादव लंबे समय से राहुल गांधी और सोनिया गांधी के सलाहकार हैं और कांग्रेस के लिए काम करते हैं। सजप की बैठकों में मैंने अनेक बार उनके फोर्ड फाउंडेशन जैसी बदनाम संस्थाओं से संबद्ध होने की चर्चा सुनी है। डॉ. प्रेम सिंह ने तीन लेखों -भ्रष्टाचार : विभ्रम और यथार्थ, नवउदारवाद की प्रयोगशाला में भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचार के घाट पर,- में यह अच्छी तरह से स्पष्ट कर दिया है कि अन्ना हजारे का आंदोलन नवउदारवाद को मजबूत करने के लिए हुआ है। मैं उनके विचार से पूरी तरह से सहमत हूं। दलित विमर्श और दलित अस्मिता की राजनीति के दौर में एक दलित कार्यकर्ता के लिए दलित संगठन से अलग संगठन में सामाजिक या राजनीतिक काम करना आसान नहीं होता है। जो दलित कांग्रेस और भाजपा में शामिल होते हैं वे अपने स्वार्थ को आगे रखते हैं। उनका स्वार्थ वहां पूरा भी होता है। मैं सजप में रहा तो कुछ मूल्यों के चलते रहा। मैं किशन पटनायक, सच्चिदानंद सिन्हा और अपने गुरु डॉ. प्रेम सिंह के विचारों से प्रेरणा पाकर समाजवादी आंदोलन और सजप में शामिल हुआ था। सुनील भाई के सादगीपूर्ण जीवन और शमीम मोदी के जुझारू व्यक्तित्व का भी मेरे ऊपर काफी प्रभाव पड़ा।अब सजप नवउदारवादी सिद्धांत की राजनीति करने जा रही है। सजप को नवउदारवाद के सिद्धांत से जोड़ने वाले लोग सोचते होंगे कि अन्ना हजारे के सहारे वे कोई पद-प्रतिष्ठा पा लेंगे। एक-दो लोगों के लिए यह संभव हो भी सकता है। लेकिन साधारण समाजवादी कार्यकर्ताओं के साथ यह एक और छल होगा।