भाई साहब मैं तो आपका मुरीद...इन्हीं बातों के चलते बना हूं...आप रिश्ते बनाते नहीं...रिश्ते कमाते हैं...मैं पहले भी कहता था...आज ज्यादा पुख्ता ढंग से कह पा रहा हूं....यकीनन...ये तस्वीर...वाकई...परदे...और घूंघट की खूबसूरती को बखूबी बयां कर रही है...शुक्रिया...साधुवाद...दोनों...चायदुकान पर मेरी आवा-जाही रहेगी...इस बात की गारंटी के लिए....पहली टिप्पणी के साथ....
3 comments:
भाई साहब मैं तो आपका मुरीद...इन्हीं बातों के चलते बना हूं...आप रिश्ते बनाते नहीं...रिश्ते कमाते हैं...मैं पहले भी कहता था...आज ज्यादा पुख्ता ढंग से कह पा रहा हूं....यकीनन...ये तस्वीर...वाकई...परदे...और घूंघट की खूबसूरती को बखूबी बयां कर रही है...शुक्रिया...साधुवाद...दोनों...चायदुकान पर मेरी आवा-जाही रहेगी...इस बात की गारंटी के लिए....पहली टिप्पणी के साथ....
vakayee behad khoobsoorat, in shabdon ka nahin, balki uske andar chhipe arthon ka.
क्या बात है, भैया वाकई लाजवाब...
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