Sunday, February 14, 2016

रेलवे टिकट

विश्व की सबसे व्यस्ततम रेलवे रूट कौन-सी है? जवाब है  नई दिल्ली-पटना रेलवे रूट. मैं यक़ीनी तौर पे कह सकता हूं कि जितनी राजधानी ट्रेनें इस रूट से होकर गुज़रती है, शायद ही किसी और रास्ते या रूट से होकर गुज़रती होंगी। लेकिन इस रूट की सबसे बड़ी ख़ासियत ये नहीं है जो आपने अभी-अभी पढ़ा है, बल्कि इस रेलवे रूट की ख़ासियत ये है कि किसी भी मौसम में आपको इस रूट की तमाम ट्रेनों में रिज़र्वेशन के लिए लंबी क़तारों में इंतज़ार करना पड़ेगा. होली, गर्मी छुट्टी, दिवाली-छठ और दूसरे मौकों पर तो रिज़र्वेशन चार महीने पहले जिस दिन खुलता है, उसी दिन बंद भी हो जाता है, यानी नो रूम लिखा आ जाता है. और तो और ज़रा सी देर की नहीं कि आपने इंतज़ार सूची में भी आने का हक़ खो दिया.
ख़ैर, पिछले कई हफ़्तों से एक दिन के लिए घर जाने की कोशिश में लगा हुआ हूं. हाथ-पैर जोड़कर ऑफिसवालों को मना लेने में क़ामयाब हो जा रहा हूं, लेकिन ट्रेन में बर्थ पाने में नाक़ामयाबी ही हाथ आ रही है. मेरी हालात का तनिक अंदाज़ा तो लगाइए, पिछले दो बार से पूरी तैयारी कर चुकने के बाद जब पत्नी को ये बताता हूं कि टिकट कंफर्म नहीं हुआ, तो घर में क्या होता होगा? इस मुद्दे पर पत्नी को समझा-मना पाने में असमर्थ रहा हूं. पिछले साल भी, नवंबर में होनेवाले छठ के लिए जुलाई में टिकट बुक कराई थी. माने या न माने मेरी टिकट वेटिंग की वेटिंग में ही रही. बड़ी मुश्किल से कई दूसरे माध्यमों और जर्नी ब्रेक करते हुए घर तक पहुंचा था (बीवी के हाथों टॉर्चर होने से बेहतर यही लगा).
सूत्रों की मानें, तो इन सब के पीछे रेलवे टिकट बेचनेवाले दलालों का हाथ है जो अच्छी तादाद में टिकटों की फर्ज़ी बुकिंग कर लेते हैं और फिर मांग के मुताबिक़ रेलवे बुकिंग ऑफिस की मदद से ऑरिजनल नाम पर टिकट अपने ग्राहकों को ऊंची दरों पर बेचते हैं. एक तरफ तो रेलवे दलालों से टिकट की ख़रीददारी करने से मना करती है, जेल भेजने का डर दिलाती है. वहीं, दूसरी तरफ इसके कुछ कर्मचारी दलालों को वो सुविधा दे रहे हैं, जो यक़ीनी तौर पर प्रधानमंत्री मोदीजी स्टार्ट-अप कंपनियों को भी कभी नहीं दे पाएंगे. मुझे पता है, इन सब बातों को लिखने का कोई फायदा नहीं है क्योंकि जितनी फज़ीहत होनी है, वो झेलनी भी है. दुआ कीजिए कि अगली यात्रा की टिकट भले ही वेटिंग की मिले, पर जाने से पहले कंफर्म ज़रूर हो जाए.

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