बीआईटी मेसरा ने उनके इस अविष्कार की सघन जांच के बाद कहा है कि यह यंत्र इंजन से निकलने वाले कार्बन कण को अपने अंदर संग्रहित कर वायुमंडल में ऑक्सीजन की मात्रा को ब़ढाता है और ध्वनि प्रदूषण को 70 फीसदी तक कम कर देता है. इस यंत्र को छोटे-बड़े सभी तरह के जेनरेटर सेट या धुआं उगलने वाली किसी भी इंजन सेट के साथ इस्तेमाल किया जा सकता है.
आईआईएम अहमदाबाद के प्रोफेसर पद्मश्री अनिल कुमार गुप्ता के अनुसार विरेंद्र कुमार सिन्हा का यह आविष्कार वायुमंडल को प्रदूषित होने से तो बचाता ही है, इस यंत्र में जमा कार्बन कणों का बाद में जूता पॉलिश बनाने, पेंट बनाने जैसे व्यवसायिक कार्यों में भी इस्तेमाल किया जा सकता है. नेशनल इनोवेशन फांउडेशन, गुजरात ने सिन्हा के इस आविष्कार का पेटेंट भी करवाया है. पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम आज़ाद ने सिन्हा के इस प्रयास की सराहना की है और वर्तमान राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने उन्हें पुरस्कार से नवाजा, लेकिन खुद उनके राज्य यानी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और स्थानीय प्रशासन की तऱफ से अब तक सिन्हा को न तो कोई सहायता मिली है और न ही सराहना. इसका एक प्रमाण यह है कि जब नेशनल इनोवेशन फांउडेशन ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इस आविष्कार के बारे में सूचित किया और सिन्हा को सहायता देने की बात कही तो जवाब मिला कि सरकार के पास इस तरह की सहायता के लिए कोई प्रावधान नहीं है, जबकि मुख्यमंत्री यदि चाहे तो अपने कोष से ही मदद देकर सिन्हा के इस अविष्कार को कम से कम बिहार में प्रचारित-प्रसारित तो करवा ही सकते हैं, लेकिन बिहार की धरती ही कुछ ऐसी है, जहां की सरकार अपनी प्रतिभा को समय रहते पहचान पाने में अब तक नाकाम रही है.
4 comments:
बहुत सुन्दर प्रस्तुति| धन्यवाद|
लेखन के मार्फ़त नव सृजन के लिये बढ़ाई और शुभकामनाएँ!
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आलेख-"संगठित जनता की एकजुट ताकत
के आगे झुकना सत्ता की मजबूरी!"
का अंश.........."या तो हम अत्याचारियों के जुल्म और मनमानी को सहते रहें या समाज के सभी अच्छे, सच्चे, देशभक्त, ईमानदार और न्यायप्रिय-सरकारी कर्मचारी, अफसर तथा आम लोग एकजुट होकर एक-दूसरे की ढाल बन जायें।"
पूरा पढ़ने के लिए :-
http://baasvoice.blogspot.com/2010/11/blog-post_29.html
शुक्रिया।
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