Thursday, December 6, 2012

ख़बरों के पीछे की ख़बर (03)

अथ श्री जिंदल-गोयल कथा (03)
इसमें कोई दो राय नहीं कि पारिवारिक विरासत को नवीन जिंदल ने बख़ूबी विस्तार दिया है। कुरूक्षेत्र से सांसद इस उद्योगपति की मां श्रीमती सावित्री जिंदल (स्वर्गीय ओम प्रकाश जिंदल की पत्नी) भी पारिवारिक नैया को ख़ूब ढंग से खे रही हैं। हिसार से विधायक श्रीमती सावित्री जिंदल कई ग़ैर-सरकारी संगठनों की अध्यक्ष हैं और कई सामाजिक सरोकार से जुड़े संगठन चलाती हैं। परिवार की राजनीति में जड़ें गहरी होते जाने की वज़ह से हिसार, हरियाणा और देश में इनकी धाक कहीं ज़्यादा है। कारोबारी प्रतिद्वन्दिता बढ़ते-बढ़ते राजनीतिक महत्वकांक्षा में तब्दील हो गई।सुभाष चंद्र गोयल की नज़र हिसार की विधायक सीट पर थी। जानकारों की मानें तो सुभाष ने अपने पिता को वहां से विधायक बनाने का मंसूबा पाल रखा था। इस मंसूबे को अंजाम तक पहुंचाने के लिए उन्होंने राजनीति का ही सहारा लिया। अपने हथियार यानी मीडिया (टेलीविजन और अख़बार) के ज़रिए वो नवीन जिंदल की कंपनी के ख़िलाफ़ हमला बोल दिया। उन्हें भरोसा था कि जब जिंदल के कारोबार पर इन ख़बरों की वज़ह से बुरा असर पड़ेगा तो, वो इस तरह की ख़बरों को रोकने की एवज़ में हिसार की सीट खाली करवा लेंगे। लेकिन गोयल साहब का ये अंदाज़ा ग़लत निकला। नवीन जिंदल की कंपनी के उच्च अधिकारियों ने धंधे के ज़रिए राजनीति में दाखिल होने का मंसूबा पाले गोयल साहब को ज़ोर का झटका महा ज़ोर से दिया। बीस करोड़ की मांग, सौ करोड़ में तब्दील हुई। इससे पहले की बातचीत की मेज पर हिसार की सीट के लिए मोल-भाव हो कांग्रेस के तेज़-तर्रार सांसद ने पूरी बाज़ी ही पलट कर रख दी। सुभाष गोयल के लिए दलाली कर रहे उनकी ही कंपनी के दोनों नुमाइंदों की पूरी बात-चीत को कैमरे में क़ैद कर जिंदल समूह ने गोयल समूह को मुंह की खाने पर मजबूर कर दिया। कुल मिलाकर नतीज़ा ये निकल रहा है कि अब गोयल समूह अपनी साख बचाने की जुगत में जुट गया है।

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