Thursday, December 6, 2012

प्रबंधकीय उत्कर्षता में सतर्कता की भूमिका

परिचयसावधानी हटी, दुर्घटना घटी’’ अगर आपने सड़क के रास्ते देश के किसी भी कोने की यात्रा की होगी तो आपको हिदायत देता ये संदेश कहीं-न-कहीं ज़रूर दिखा होगा। जी हां!  सिर्फ सड़क यात्रा ही नहीं जीवन के सफर में खासकर व्यवसाय, संगठन या योजनाओं को सुचारू रूप से चलाने के लिए भी ये हिदायत बेहद उपयुक्त है। देश में इन दिनों जितने तरह के घोटालों की चर्चा हो रही है, उन तमाम घोटालों की जड़ में सतर्कता की कमी यानी लापरवाही को ही पाया गया है।
प्रबंधन के जानकारों के मुताबिक निरीक्षण, पुनर्निरीक्षण और प्रति-निरीक्षण (Check, Re-Check & Cross Check) के बग़ैर प्रबंधन अधूरा है। यही वजह है कि सतर्कता, प्रबंधन का एक अहम और अलग न किया जा सकने वाला अंग है।  

संसाधन प्रबंधन में सतर्कता – किसी भी संगठन को चलाए जाने के लिए ज़रूरी  संसाधनों को जुटाए जाते वक्त बरती गई सतर्कता न केवल संसाधन के गुणवत्ता की गारंटी तय करती है बल्कि आगामी ज़रूरतों के लिए मानदंड तय कर देती है। इसके साथ ही वक्त और पूंजी की बर्बादी को रोक पाने संगठन को सक्षम बनाती है। प्रबंधकीय विशेषज्ञता के लिए संगठन के लिए संसाधन जुटाने के काम को सबसे ज़्यादा अहम माना गया है। और सतर्कता इसकी अहमियत को कहीं ज़्यादा कारगर बनाता है इसमें कोई शक नहीं।

मानव-संसाधन प्रबंधन में सतर्कता – ज़रूरी संसाधनों में मशीनों और दूसरे उपयोग में आने वाली चीज़ों से कहीं ज़्यादा अहमियत उनके इस्तेमाल करने वालों की होती है इससे हर कोई इत्तेफाक रखता है। इस लिहाज से भी किसी भी संगठन के ब्रांडिंग में उसके लिए काम कर रहे कर्मचारियों की भूमिका अहम होती है। संगठन के वर्तमान से ही उसका भविष्य तय होता है और संगठन में काम करनेवाले कर्मचारी इसकी सबसे मज़बूत कड़ी होते हैं। कुशल प्रबंधन संसाधन जुटाने के अहम काम में सबसे सावधान मानव संसाधन जुटाने में करता है। ताकि संगठन को योग्य और कर्मठ कर्मचारी-अधिकारी मिल सके। इसके बावजूद कई बार देखा गया है कि ऊंचे अधिकारी के व्यक्तिगत कारणों से योग्य कर्मचारी-अधिकारी को उसकी योग्यता और अनुभव के मुताबिक जगह नहीं दी जाती है। कई बार मामला संगठन से बाहर कोर्ट-कचहरी तक खिंच जाता है जिससे संगठन का नाम ख़राब होता है। ऐसे मामलों में सतर्कता बेहद जरूरी हो जाती है। ख़ासकर कर्मचारियों-अधिकारियों के स्थानान्तरण आदि मामलों में निष्पक्षता और पारदर्शिताकी गारंटी तय करने में।

सेवा की गुणवत्ता में सतर्कता – गुजरते वक्त के साथ कर्मचारियों के काम-काज का मुआयना ज़रूरी होता है। संगठन से जुड़े शाखाओं और उन जगहों का औचक निरीक्षण संगठन द्वारा दी जा रही सेवा की गुणवत्ता की गारंटी तय करने में मदद करता है। ई-गवर्नेंस के दौर में संगठन के सेवा की गुणवत्ता के लिए मानदंड तय करने का काम ज़ोरों पर है। अब तो तमाम ऐसे सॉफ्टवेयर उपलब्ध हैं जिसके जरिए सेवा की गुणवत्ता और उसकी निगहबानी की जा सकती है। बेहतर प्रबंध कौशल के लिए संगठन द्वारा दी जा रही सेवा की गुणवत्ता बनाए रखना बेहद अहम है।

तकनीक प्रबंधन में सतर्कता – ऊंची तकनीक और तकनीकी जानकारी जहां एक ओर किसी संगठन के कर्मचारियों की ताकत होती है वहीं इसकी कमी संगठन के विकास में बाधक होती है। बेहतर प्रबंधन बाज़ार और ज़रूरतों के मुताबिक संगठन के लिए काम कर रहे अधिकारियों औऱ कर्मचारियों को बदलते तकनीक की ट्रेनिंग की व्यवस्था तो करता ही है। साथ ही इस बात की गांरटी तय करता है तकनीक सीखकर संगठन के लिए काम करने वाला इसका बेज़ा फायदा तो नहीं उठा रहा है। ई-गवर्नेंस के ज़रिए आधुनिक तकनीक की इन्हीं तकनीकी पहलुओं का खासा ध्यान रखा जा रहा है। और व्यवस्था को पूरी तरह चुस्त-दुरूस्त बनाने की कोशिश की जा रही है।

कर्मचारियों को दिए जानेवाले सुविधाओं में सतर्कता – हर संगठन में कर्मचारियों-अधिकारियों का मनोबल बनाए रखने के लिए कई तरह की सुविधाएं दी जाती हैं। लेकिन एलएफसी और इस जैसी कई दूसरी सुविधाओं में कई तरह की गड़बड़ियों की शिक़ायत आती रहती है। सुविधाएं कर्मचारियों के लिए ही होती ज़रूर हैं लेकिन इसके बेज़ा इस्तेमाल का असर संगठन की सेहत पर पड़ता है। थोड़ी सतर्कता इस तरह की शि़क़ायतों पर अंकुश लगा सकती है।

ग्राहकों को मिलने वाली सुविधाओं में सतर्कता – जिस तरह कर्मचारियों-अधिकारियों को मिलने वाली सुविधाओं में सतर्कता ज़रूरी है, ठीक उसी तरह संगठन से जुड़े दूसरे लोग ख़ासतौर पर ग्राहकों के लिए बनाई गई योजनाओं में सतर्कता बरतना निहायत ज़रूरी है।  इस तरह की योजनाओं के क्रियान्वयन में बरती गई सतर्कता संगठन के विकास और ब्रांडिंग में अहम भूमिका निभाते हैं। सतर्कता के ज़रिए ये तय किया जाना ज़रूरी है कि योजना या सुविधा जिनके लिए, जिस रूप में बनाई या दी जा रही है वो उन तक ठीक उसी रूप में पहुंचे।

उपयोगी सामानों की खरीद-फरोख्त में सतर्कता – रोज़मर्रा की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए उपयोगी सामानों की खरीद-बिक्री में सावधानी ज़रूरी है। फिर चाहे बात मामूली से सामाचार-पत्र, मैगज़ीन की हो या खाने-पीने या स्टेशनरी आईटम्स की। संगठन की ऐसी ज़रूरतों को पूरा करने में हीला-हवाली या ढिलाई संगठन के लिए घातक हो सकती है। इसलिए यहां भी निरीक्षण-पुनर्निरीक्षण और प्रति-निरीक्षण के नियम का इस्तेमाल ज़रूरी हो जाता है। ये सतर्कता किसी तरह की अनियमितता रोकने में कारगर साबित होती है।
जन-संपर्क व प्रचार में सतर्कता – कई काम ऐसे होते हैं जो कई बार बेहद ज़रूरी होते हैं और जिसमें भ्रष्टाचार की गुंजाइश सबसे ज़्यादा होती है। संगठन के लिए प्रचार औऱ जन-संपर्क का काम ऐसे ही कामों में से एक है। जन-संपर्क और प्रचार आज बाज़ार के लिए अपरिहार्य बन गए हैं। लेकिन, प्रचार सामाग्री औऱ विज्ञापन के निर्माण में और प्रचार के  बनाए-दिखाए जाने में हुई धांधलियों के उजागर होने पर संगठन को कहीं ज़्यादा नुक़सान उठाना पड़ता है, उसका नाम कहीं ज्यादा ख़राब होता है। कुशल प्रबंधन प्रचार और जन-संपर्क के लिए विशेष इंतजाम करने के साथ-साथ इस बात की गारंटी भी तय करता है कि इसके ज़रिए संगठन को सिर्फ फायदा हो बदनामी नहीं।

आउट-सोर्सिंग व अनुबंध करने में सतर्कता – आजकल तमाम संगठन कार्य-कुशलता और लागत की कमी को ध्यान में रखकर संगठन के कई कामों को बाहरी संगठन से करवाते हैं। फिर चाहे बात संगठन के चल-अचल संपत्ति की चौकीदारी की हो या अकाउंट मैनेज करने जैसे कठिन काम हों। लेकिन इस तरह के कामों को बाहरी संगठनों को सौंपने में सतर्कता बरतने की ज़रूरत सबसे ज़्यादा होती है। इस बात का पूरा ख्याल रखा जाना बेहद ज़रूरी है कि इस तरह के अनुबंध में संगठन से जुड़े किसी अधिकारी-कर्मचारी का हित तो नहीं सध रहा या संगठन की लागत कहीं ज़्यादा तो नहीं आ रही है। ऐसे कामों में चौकसी और पारदर्शिता का ख्याल हर चरण (फेज़) रखा जाना चाहिए।

ईलेक्ट्रॉनिक भुगतान – छोटे-बड़े हर तरह की भुगतान के लिए तमाम संगठनों को नकद भुगतान का इस्तेमाल कम-से-कम करना चाहिए किसी तरह की अनियमितताओं को रोकने के लिए ये प्रयोगअहम पहल साबित होगा। नकद भुगतान के विकल्प के तौर पर ईलेक्टॉनिक भुगतान का इस्तेमाल बढ़ाना जरूरी है। इसके तहत कोई भी संगठन नक़द भुगतान की बजाए सीधे धारक के अकाउंट में धन स्थानान्तरित करते हैं। ई-गवर्नेंस की इस अहम पहल से भ्रष्टाचार पर पूरी तरह अंकुश लगाना मुमकिन हो सकेगा।

निष्कर्ष  - ऊपर बताए प्रबंधन कौशल में सतर्कता के अलावे संगठन को सुचारू रुप से चलाने के लिए समग्रता के साथ सतर्कता जरूरी है। खासकर उन तमाम जगहों पर जहां भ्रष्टाचार की रत्ती भर भी गुंजाइश बाकी रह जाती हो।

अपने स्वास्थ्य के प्रति हर व्यक्ति पहले के मुक़ाबले कहीं ज्यादा सजग हुआ है। इसी सजगता की वजह से देश-दुनिया में जीवन प्रत्याशा यानी लोगों की औसत उम्र बढ़ रही है। किसी भी संगठन के लंबी उम्र और अच्छी सेहत के लिए उसके स्वास्थ्य का उचित ख्याल रखना बेहद जरूरी है। जिस तरह व्यायाम के जरिए शरीर को स्वस्थ रखने की कोशिश की जाती है। ठीक उसी तरह संगठन के स्वास्थ्य के लिए सतर्कता बेहद ज़रूरी है। इससे संगठन का समुचित विकास तो होता ही, साथ ही प्रबंधकीय उत्कर्षता भी हासिल होती है। जिसका इनाम संगठन से जुड़े हर कर्मचारी को किसी न किसी रूप में ज़रूर हासिल होता है। और सबसे बड़ा इनाम होता है संगठन का हर गुजरते दिन के साथ बड़े ब्रांड में तब्दील होते जाना


No comments: