Thursday, December 6, 2012

ख़बर जो दुनिया जानती है/थी (2)

अथ श्री जिंदल-गोयल कथा (02)
लौह-खनिज व्यापारी जिंदल और गेहूं कारोबारी गोयल हरियाणा से ताल्लुक रखते हैं। दोनों धर्म-जाति-कर्म से एक हैं, इतना ही नहीं दोनों कारोबारियों का कर्मस्थल हरियाणा का हिसार ज़िला है और दोनों ने पिछले दो दशक में ही सबसे ज़्यादा तरक़्क़ी की है। अभी वो ज़माना गुज़रे अर्सा नहीं हुआ है जब दोनों कारोबारियों के घनिष्ठता के चर्चे होते थे। किसी तरह का काम हो, किसी ने जिन्दल के सामने गोयल की सिफारिश रख दी, उसका काम प्राथमिकता के साथ हुआ। और किसी ने गोयल के सामने जिन्दल का नाम भर ले लिया, उसका दामन उसकी चाहतों से लबालब भर दिया जाता, फिर क्या हिसार,  क्या चंडीगढ़ और क्या दिल्ली।
इन सबके पीछे भावना से ज़्यादा दोनों की ज़रूरतें थीं जो एक दूसरे को बांधे हुई थीं/हैं। कुछ ख़ास वज़ूहातों में से सबसे ख़ास वज़ह हम आपको बता देते है। वज़ह ये कि हिसार में जितने भी ट्रस्ट या न्यास हैं सबमें गोयल और जिन्दल ही ट्रस्टी हैं। अग्रसेन जैसे ट्रस्ट जिसके जहां एक ओर इसके ख़ज़ाने लबालब भरे हुए हैं वहीं ख़ुदाई के दौरान निकले छिपे ख़जाने भी दोनों घरानों ने ख़ूब शांति से मिल-बांटकर खाएं हैं/खा रहे हैं। लेकिन इन सबके कारोबारी कहानियों में मोड़ तब आया जब मामला कारोबार से आगे निकल गया।
जी हां, जब बात रसूख और ताक़त की आती तो ज़ी यानी गोयल लोगों को काफी पीछे नज़र आते। यही बात सुभाषचन्द्र गोयल ज़ी को खटक रही थी। वो लोगों को मायोपिया से छुटकारा दिलाना चाहते थे। यहीं से मामला कारोबार से आगे निकल गया क्योंकि ज़ी के खानदान का राजनीतिक रसूख जो हो उनके ख़ुद के परिवार का कोई सदस्य राज्य या देश की राजनीति में नहीं है। इस वज़ह से लोगों की नज़र में जिंदल का क़द कई गुना बढ़ जाता है और सुभाष चन्द्र गोयल ज़ी बौने नज़र आते हैं।

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